भला क्यूँ -30-Apr-2025
प्रतियोगिता हेतू
दिनांक: 30/04/2025
भला क्यूँ?
क्यूँ देखूं मैं बार-बार,
हर बार , वो ही ख़्वाब
जो अधूरा सा है।
जिसके पूरा होने की कोई
संभावना भी नहीं है।
एक अकेला भटकाता हुआ
वीरान सा ख़्वाब।
क्यूँ देखूं मैं बार- बार
हर बार, वो ही ख़्वाब
जो अधूरा सा है।
माना ख़्वाब देखने पर
कोई ज़ोर नहीं किसी का
न ही कोई इसे रोक पाया है।
पर जब यह रहता
अकेलेपन के साथ भला फिर
कौन इसे कभी
गले लगा पाया है?
इसके पीछे भागना बेकार है
इसके बारे में सोचना बेकार है
क्योंकि यह तन्हाई को पसंद
करता है।
अपने आप में जीता है।
क्यूँ देखूं मैं बार-बार
हर बार, वो ही ख़्वाब
जो अधूरा सा है।
जिसके पूरा होने की कोई
संभावना भी नहीं है।।
शाहाना परवीन'शान'...✍️